योग या व्‍यायाम, कौन है बेहतर?

योग या व्‍यायाम, कौन है बेहतर?

शारीरिक गतिविधियों को लेकर कई तरह के भ्रम हमारे सामने होते हैं और हम उनपर भरोसा भी करने लगते हैं। इस आलेख में हम व्‍यायाम से सबंधित कुछ भ्रम और सही तथ्‍य आपके सामने रखेंगे।

 

भ्रम: एक सप्‍ताह में किया जाने वाला वर्कआउट सप्‍ताहांत में कर लेने से काम चल जाएगा।

तथ्‍य: सप्‍ताहांत में शरीर को पूरी तरह थकाने से बेहतर है कि शारीरिक गतिविधि को पूरे सप्‍ताह में बांट दिया जाए। ब्‍लड प्रेशर, ब्‍लड ग्‍लूकोज तथा अन्‍य चयापचयी पारामीटर तभी बेहतर रहते हैं जब शारीरिक व्‍यायाम नियमित रूप से किया जाए न कि 24 घंटे की अवधि में एक बार में।

भ्रम: स्थिर योग एरोबिक व्‍यायाम के समतुल्‍य है।

तथ्‍य: स्थिर योग को वजन घटाने तथा अन्‍य चयापचयी लाभ लेने के मामले में एरोबिक व्‍यायाम के बराबर नहीं समझना चाहिए क्‍योंकि इसमें कैलरी जलाने और ब्‍लड शुगर नियंत्रण के लिए मांसपेशियों का वैसा मूवमेंट नहीं होता जैसा एरोबिक एक्‍सरसाइज में होता है। वैज्ञानिक सबूत एरोबिक एक्‍सरसाइज के स्‍वास्‍थ्‍यकर फायदों को स्‍थापित करते हैं। यदि योग करना भी है तो उसे ऊपर दिए गए व्‍यायाम के तरीकों के अतिरिक्‍त करना चाहिए।

भ्रम: व्‍यायाम और कसरत के लिए सुबह का समय ही सर्वश्रेष्‍ठ है।

तथ्‍य: व्‍यायाम को दिन में कभी भी किया जा सकता है; हालांकि भोजन के बाद व्‍यायाम करने से परहेज करना चाहिए खासकर बुजुर्गों और हृदय रोगियों को। यही नहीं व्‍यायाम के कुल समय (45 से 60 मिनट) को भी दिन के अलग-अलग समय में बांटा जा सकता है (उदाहरण के लिए 3 से 4 बार में 15-15 मिनट)।

भ्रम: लेटे-लेटे कसरत करवाने वाली वाइब्रेटिंग मशीन, रिद्म‍िक मूवमेंट मशीन या सौना बेल्‍ट जैसे उपकरण एरोबिक एक्‍सरसाइज जितने ही अच्‍छे नतीजे देते हैं।

तथ्‍य: ऊपर दिए गए ये उपकरण लंबे समय में वजन कम करने में क‍िसी तरह मददगार नहीं होते और न ही ये उपकरण विज्ञान सम्‍मत हैं।

भ्रम: मैं अपने काम के दौरान बहुत सक्रिय रहता हूं इसलिए मुझे किसी तरह के व्‍यायाम की कोई जरूरत नहीं है।

तथ्‍य: यदि काम के दौरान सक्रिय रहने का अर्थ ये है कि आप किसी भी तरह 30 से 45 मिनट तक पैदल चलते हैं या इतनी देर तक कोई शारीरिक गतिविधि करते हैं तो आपको इसका लाभ मिलता है मगर यदि आपका काम बैठे रहने का है और इस बीच में आप थोड़ी देर के लिए कभी टहल लेते हैं तो इससे आपको कोई खास लाभ नहीं मिलता और इसे सक्रिय होना नहीं माना जाएगा। डायबिटीज के सभी मरीजों को अपने कार्य अवधि के अलावा भी व्‍यायाम करने की जरूरत होती है।

भ्रम: यदि आप व्‍यायाम करना बंद कर देंगे तो आपकी मांसपेशियां फैट में बदल जाएंगी।

तथ्‍य: मांसपेशियां कभी भी फैट में नहीं बदलतीं मगर उनका कार्य जरूरत व्‍यायाम बंद करने के तुरंत बाद कम होना आरंभ हो जाता है। मांसपेशियां लगातार कार्यशील, सही आकार में और मजबूत रहें इसके लिए नियमित रूप से एरोबिक और प्रतिरो‍धक (वजन और रेसिस्‍टेंस एक्‍सरसाइज मशीन के साथ) व्‍यायाम करते रहना जरूरी होता है और ये ग्‍लूकोज और कोलेस्‍ट्रोल कंट्रोल के लिए भी सही होता है। जब लंबे समय तक व्‍यायाम नहीं किया जाता तो मांसपेशियों का आकार घटने लगता है और शरीर पर, खासकर पेट के चारों ओर फैट जमा होने लगता है।

भ्रम: आप जितना वजन कम करना चाहते हैं उसके लिए व्‍यायाम एक निश्चित तरीका है।

तथ्‍य: व्‍यायाम वजन कम करने में सिर्फ तभी मददगार होता है जब उसके साथ कम कैलरी वाला भोजन लिया जाए। सिर्फ व्‍यायाम करने से कई लाभ होते हैं (चयापचय, हृदय संबंधी, फि‍टनेस आदि) मगर लंबे समय में वजन शायद न कम हो।

भ्रम: पेट की चर्बी घटाने के लिए कुछ खास व्‍यायाम होते हैं।

तथ्‍य: ये एक आम धारणा है कि शरीर के किसी खास अंग को लक्ष्‍य करके व्‍यायाम करने से उस अंग की चर्बी कम करने में मदद मिलती है। सभी तरह के एरोबिक एक्‍सरसाइज और रेसिस्‍टेंस एक्‍सरसाइज करने से शरीर के हर अंग से चर्बी घटाने में मदद मिलती है जिसमें पेट भी शामिल है। भले ही लोकप्रिय सलाह हो कि किसी खास अंग से चर्बी घटाने के लिए खास खास व्‍यायाम करना चाहिए, मगर इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। हालांकि ये व्‍यायाम पेट की मांसपेशियों को जरूरी चुस्‍त कर सकते हैं।

भ्रम: फ‍िट रहने के लिए जिम जाना जरूरी है।

तथ्‍य: कोई भी एरोबिक एक्‍सरसाइज जिसके साथ संतुलित कैलरी वाला भोजन लिया जाए वजन कम करने में मददगार होता है। तेज चाल अभी भी सबसे बेहतर व्‍यायाम है। हालांकि जिम में व्‍यायाम के कई विकल्‍प मिलते हैं और एक बार पैसे भरने के बाद आप व्‍यायाम को लेकर ज्‍यादा नियमित भी हो जाते हैं।

भ्रम: मैं आज 60 मिनट की शारीरिक गतिविध‍ि के साथ एक्‍सरसाइज करना शुरू कर सकता हूं।

तथ्‍य: यदि आप 40 साल से अधिक उम्र के हैं तो कृपया एक्‍सरसाइज शुरू करने से पहले अपनी जांच किसी फीजिशियन से करवाएं और उसके बाद धीरे-धीरे व्‍यायाम शुरू करें। धीमे-धीमे शुरू किया गया व्‍यायाम मांसपेशियों और हड्डियों को अनावश्‍यक परेशानी में नहीं डालता।

(देश के जाने-माने डायबेटोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर अनूप मिश्रा की किताब डायबिटीज विद डिलाइट से साभार)

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